
सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने के बाद मचा राजनीतिक भूचाल..!
महाराष्ट्र/चंद्रपुर
दि.04 सप्टेम्बर 2024
रिपोर्ट :- अनुप यादव मुख्य संपादक: ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
पुरी खबर :- महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में 26 अगस्त 2024 को एक अप्रत्याशित घटना घटित हुई जब तेज हवा के चलते छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा अचानक गिर गई। इस घटना ने न केवल स्थानीय जनता को स्तब्ध कर दिया, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में राजनीति का एक नया मुद्दा खड़ा कर दिया। प्रतिमा गिरने के बाद से राज्य में जमकर राजनीतिक बयानबाजी हो रही है, और विपक्षी दल इस मुद्दे पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
प्रतिक्रियाओं की बाढ़:
- घटना के बाद से महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक रैलियों की बाढ़ आ गई है। प्रमुख विपक्षी दलों ने इसे शिवाजी महाराज के अपमान के रूप में देखा और राज्य सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। घटना के कुछ ही दिनों बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अगस्त को पालघर में आयोजित एक रैली में माफी मांगते हुए कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक राजा नहीं, बल्कि पूजनीय हैं। उनकी प्रतिमा का गिरना हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है।”
घटना के कारण:
- हालांकि, प्रतिमा के गिरने के पीछे क्या तकनीकी कारण थे, इसे लेकर विभिन्न रिपोर्टें सामने आई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिमा की संरचना में कुछ खामियां थीं, जिससे यह तेज हवाओं के दबाव को सहन नहीं कर पाई। प्रतिमा की निर्माण प्रक्रिया और उसके सुरक्षा मानकों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या प्रतिमा के निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री गुणवत्ता पर खरी उतरती थी या नहीं, यह जांच का विषय बना हुआ है। इसके अलावा, प्रतिमा की स्थापना के लिए चुनी गई जगह की भी भौगोलिक और मौसम संबंधी परिस्थितियों का आकलन आवश्यक है।
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया:
- घटना के बाद, विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर हमला बोला। राज्य के प्रमुख विपक्षी नेता इस घटना को सरकारी लापरवाही का परिणाम मानते हुए सड़कों पर उतर आए। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने इस घटना को सरकार की असफलता करार देते हुए कहा, “शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के आदर्श हैं। उनकी प्रतिमा का गिरना महाराष्ट्र के गौरव पर हमला है। राज्य सरकार को इस घटना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”
चंद्रपुर में विरोध प्रदर्शन
- घटना के कुछ दिनों बाद, चंद्रपुर शहर में गांधी चौक से जिले के कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। इस मोर्चे में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई। मोर्चे में चंद्रपुर जिले की सांसद प्रतिभा धानोरकर और राजुरा से विधायक सुभाष धोटे भी शामिल थे। मोर्चे के दौरान, लोगों को शपथ दिलाई गई कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज के सम्मान की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा, “शिवाजी महाराज के प्रति हमारी श्रद्धा अटूट है, और हम उनके सम्मान के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं। सरकार को इस मामले में तत्काल और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।”
आगामी चुनावों पर असर:
- इस घटना ने आगामी विधानसभा चुनावों पर भी गहरा असर डाला है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता इस मुद्दे को चुनावी मंच पर उठाने की तैयारी कर रहे हैं। चंद्रपुर के प्रदर्शन में अपनी दावेदारी पेश करने वाले नेता राजु झोडे और दिलिप कामले ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “यह घटना हमारे समाज के आदर्शों पर सीधा हमला है। हम इसे चुनावी मुद्दा बनाएंगे और जनता के बीच जाकर इस सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे।”
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव:
- छत्रपति शिवाजी महाराज केवल महाराष्ट्र के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी प्रतिमा का गिरना एक सांस्कृतिक धक्का था, जिसने समाज के सभी वर्गों को झकझोर कर रख दिया। शिवाजी महाराज की प्रतिष्ठा और उनके योगदान को देखते हुए यह घटना एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गई है।
सरकारी प्रतिक्रियाएँ:
- सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “यह घटना अत्यंत दुखद है। हम सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले की पूरी जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए। शिवाजी महाराज हमारे गौरव हैं और उनकी प्रतिमा का गिरना हमारे लिए असहनीय है।”
आगे की राह:
- अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और जनता की नाराजगी को कैसे कम करती है। राज्य में इस घटना के बाद से राजनीतिक माहौल गर्म है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी बड़ा रूप ले सकता है। साथ ही, यह भी देखना होगा कि क्या आगामी चुनावों में इस घटना का प्रभाव मतदाताओं के फैसले पर पड़ेगा या नहीं।
निष्कर्ष:
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना एक ऐसी घटना थी जिसने पूरे महाराष्ट्र को हिला कर रख दिया। इसने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को भी उद्वेलित किया। अब सभी की निगाहें सरकार की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं और इस घटना के बाद से उभरे राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों के समाधान की प्रतीक्षा की जा रही है। शिवाजी महाराज के प्रति लोगों की असीम श्रद्धा और सम्मान ने इस घटना को एक ऐतिहासिक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां से भविष्य की राजनीति और समाजिक समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।



