निवासी मूक बधिर विद्यालय बंद होने के बाद जिले में हड़कंप, विद्यार्थियों के भविष्य पर मंडराया संकट

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निवासी मूक बधिर विद्यालय बंद होने के बाद जिले में हड़कंप, विद्यार्थियों के भविष्य पर मंडराया संकट
चंद्रपुर/महाराष्ट्र 
 
दि . ०५/९/ २०२४
 
रिपोर्टर :- रमाकांत यादव जिल्हा प्रतिनिधि ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
 
 
पूरी खबर:-चंद्रपुर, 05 सितंबर 2024 — चंद्रपुर जिले का एकमात्र निवासी मूक बधिर विद्यालय, जो विकलांग छात्रों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र था, हाल ही में विवादों के घेरे में आ गया है। यहां एक लड़की के साथ हुए लैंगिक अत्याचार के मामले ने न केवल प्रशासन की नींद खोल दी, बल्कि स्थानीय जनता में भी आक्रोश फैला दिया। मामले के प्रकाश में आने के बाद जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विद्यालय को बंद करने का आदेश जारी कर दिया। इस बंदी के बाद दिव्यांग बच्चों के भविष्य पर गहरा संकट मंडराने लगा है।
 प्रशासन की कार्रवाई
  • राष्ट्रीय समाज पक्ष के चंद्रपुर जिला अध्यक्ष रमाकांत यादव की अगुवाई में इस घटना के विरोध में जन आंदोलन तेज हुआ, जिसके परिणामस्वरूप जिला प्रशासन ने त्वरित निर्णय लेते हुए विद्यालय को बंद कर दिया। रमाकांत यादव के अथक प्रयासों और आंदोलन के चलते आयुक्त, दिव्यांग कल्याण, पुणे ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए विद्यालय की मान्यता को रद्द कर दिया।
 क्या था मामला..
  • विद्यालय में एक लड़की के साथ हुए लैंगिक अत्याचार का मामला सामने आने पर इसे गंभीरता से लिया गया। प्रशासन ने इसे शिक्षा की गरिमा और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ के रूप में देखा। इसके बाद विद्यालय को बंद करने का आदेश जारी किया गया और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने का आश्वासन दिया गया।
  • विद्यालय की प्रधानाध्यापिका और प्रशासनिक कर्मचारियों पर भी उंगलियां उठी हैं। यह आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने मामले को समय पर संभालने में लापरवाही बरती, जिसके कारण छात्रों और उनके अभिभावकों का भरोसा विद्यालय से उठ गया। इस घटना से चंद्रपुर जिले के लोगों में भय और आक्रोश का माहौल बना हुआ है।
छात्र-छात्राओं और अभिभावकों पर प्रभाव:
  • विद्यालय बंद होने के बाद विकलांग छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए एक नई समस्या खड़ी हो गई है। चंद्रपुर जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए पहले से ही शिक्षा के सीमित विकल्प हैं, और यह विद्यालय उनकी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। अचानक से विद्यालय बंद हो जाने से बच्चों की शिक्षा बाधित हो गई है और उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करने की प्रक्रिया भी बेहद कठिन हो गई है।
  • बच्चों के अभिभावक इस बात से चिंतित हैं कि विद्यालय के बंद होने के कारण उनके बच्चों की शैक्षणिक यात्रा बीच में ही थम गई है। कई अभिभावकों ने यह भी कहा कि उनके बच्चों को नए स्कूलों में प्रवेश देने की प्रक्रिया भी लंबी और जटिल है। इससे न केवल बच्चों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी पीड़ा हो रही है।
रमाकांत यादव का बयान:
  • राष्ट्रीय समाज पक्ष के जिला अध्यक्ष रमाकांत यादव ने कहा कि यह घटना अत्यंत निंदनीय है और प्रशासन ने सही समय पर कार्रवाई कर विद्यालय को बंद किया है। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई विकलांग बच्चों के अधिकारों के लिए है। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि इन बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। यदि अगले सात दिनों में प्रशासन द्वारा विद्यालय में एक प्रशासक की नियुक्ति नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो हम सभी अभिभावकों और बच्चों के साथ जोरदार प्रदर्शन करेंगे।”
प्रशासक नियुक्ति की मांग:
  • विद्यालय में हालात सुधरने तक बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की मांग उठाई जा रही है। कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए प्रशासन से निवेदन किया है कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए विद्यालय में तत्काल प्रशासक की नियुक्ति की जाए। रमाकांत यादव ने मांग की कि विद्यालय को बंद करने के निर्णय के साथ ही एक नए प्रशासक की नियुक्ति होनी चाहिए, ताकि बच्चों की शिक्षा पुनः सुचारू रूप से चल सके। साथ ही, जिन बच्चों की शिक्षा में रुकावट आई है, उनके लिए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की जाए ताकि उनकी शैक्षणिक क्षति की भरपाई की जा सके।
पहले से थी लड़कियों की पढ़ाई पर रोक:
  • यह भी पता चला है कि विद्यालय में लड़कियों की उपस्थिति पर पहले ही दो महीने की रोक लगा दी गई थी, जिससे उनकी शैक्षणिक क्षति पहले से हो रही थी। अब विद्यालय के बंद होने से उनकी पढ़ाई पूरी तरह से रुक गई है। अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए थे और लड़कियों को अचानक स्कूल से बाहर करने का फैसला भी अनुचित था। इससे उनके शैक्षणिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
उच्चस्तरीय जांच की मांग:
  • इस घटना के बाद पूरे जिले में आक्रोश है और लोग दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। रमाकांत यादव सहित कई सामाजिक संगठनों ने प्रधानाध्यापिका और अन्य संबंधित कर्मचारियों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस मामले की सच्चाई सामने आनी चाहिए और जिनकी लापरवाही से यह घटना घटी है, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
साथ ही, विद्यालय प्रबंधन द्वारा लड़कियों को दो माह तक शिक्षा से वंचित रखने के लिए जिम्मेदार प्रधानाध्यापिका को तत्काल निलंबित करने की भी मांग उठाई जा रही है।
अभिभावकों का दर्द:
  • विद्यालय बंद होने के बाद कई अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। वे अब तक अपने बच्चों को चंद्रपुर के इस विशेष विद्यालय में भेजकर निश्चिंत थे कि उनके बच्चों को यहां एक सुरक्षित और समर्पित शिक्षा का माहौल मिलेगा। लेकिन अब, इस घटना के बाद उनके विश्वास को गहरा धक्का लगा है। एक अभिभावक ने कहा, “हम नहीं जानते कि अब हमारे बच्चे कहाँ पढ़ेंगे। यहां के शिक्षक हमारे बच्चों की विशेष जरूरतों को समझते थे, लेकिन अब हमें फिर से नई जगह ढूंढनी पड़ेगी।”
प्रशासन का पक्ष:
  • चंद्रपुर जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि घटना के गंभीरता को देखते हुए विद्यालय को बंद करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, प्रशासन ने यह भी कहा कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए सभी उपाय किए जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया, “हम बच्चों के लिए अन्य स्कूलों में व्यवस्था करेंगे, ताकि उनकी शिक्षा प्रभावित न हो। साथ ही, विद्यालय में प्रशासक की नियुक्ति पर भी विचार चल रहा है। दोषियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
निष्कर्ष:
  • निवासी मूक बधिर विद्यालय, चंद्रपुर में हुई इस घटना ने न केवल वहां के बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए समस्याएं खड़ी कर दी हैं, बल्कि शिक्षा और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी सवाल खड़े किए हैं। प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन अब यह देखना होगा कि आगे की कार्रवाई कितनी प्रभावी होती है और बच्चों के शैक्षणिक जीवन को सामान्य करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
रमाकांत यादव और उनके समर्थकों की मांगें भी न्यायोचित हैं, और यह उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इन पर ध्यान देगा और शीघ्र ही विद्यालय में एक स्थायी समाधान निकालेगा।