
सुधीर मुनगंटीवार: अपने office में RTI लागू करने वाले पहले लोकप्रतिनिधि
चंद्रपुर/महाराष्ट्र
दि. 12 नवंबर 2024
संवाददाता : अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क
चंद्रपुर : नागरिकों के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक महत्वपूर्ण कानून है, जिसने सरकार की पारदर्शिता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अधिकार के तहत, जनता को सरकारी जानकारी प्राप्त करने का हक है, जिससे प्रशासन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित होती है। लेकिन, जब यह कानून 2005 में लागू हुआ था, तब कई लोकप्रतिनिधियों ने खुद को इससे अलग रखा था। हालांकि, चंद्रपूर विधानसभा के विधायक सुधीर सच्चिदानंद मुनगंटीवार ने इस दिशा में एक अनोखी पहल की है।
आरटीआई का इतिहास
2005 में देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं की लंबी लड़ाई के बाद सूचना का अधिकार कानून लागू हुआ। यह कानून नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। लेकिन, कानून के बने होने के बाद भी अधिकांश लोकप्रतिनिधियों ने इसमें अपने लिए कोई खास प्रावधान नहीं रखा। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी आम नागरिक उनकी निजी जानकारी का अनुरोध न कर सके। इस प्रकार, प्रशासन में पारदर्शिता लाने के बजाय उन्होंने खुद को इस कानून से दूर रखा।
सुधीर मुनगंटीवार की पहल
जब सभी लोकप्रतिनिधि खुद को सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर रख रहे थे, तब सुधीर मुनगंटीवार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने स्वयं पर आरटीआई लागू करवाकर प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा दिया। मुनगंटीवार ने न केवल इस कानून का समर्थन किया, बल्कि इसे अपने कार्य में भी शामिल किया। उन्होंने अपने कार्यालय के बाहर एक सूचना भी लगाई, यह बताते हुए कि नागरिकों द्वारा मांगी गई जानकारी उन्हें मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी।
नागरिकों की भागीदारी
इस पहल ने ना केवल एक उदाहरण प्रस्तुत किया, बल्कि नागरिकों के लिए भी एक संदेश दिया कि उनके प्रतिनिधि उनके प्रति कितने उत्तरदायी हैं। मुनगंटीवार के कार्यालय ने नागरिकों से मिली सूचना के अनुरोधों का सम्मान करते हुए उन्हें उत्तर देने का कार्य शुरू किया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि कई लोकप्रतिनिधियों के विपरीत, वह पारदर्शिता पर जोर देते हैं और जनता की सूचना संबंधी जरूरतों का सम्मान करते हैं।
सकारात्मक बदलाव का संकेत
सुधीर मुनगंटीवार की यह पहल न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि यह एक सकारात्मक बदलाव का संकेत भी है। यह दिखाता है कि कैसे एक लोकप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों के प्रति गंभीर हो सकता है और प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार ला सकता है। उनके इस कदम ने अन्य लोकप्रतिनिधियों को भी प्रेरित करने की संभावना पैदा की है कि वे भी सूचना के अधिकार के तहत अपनी जानकारी को सार्वजनिक करने में पहल करें।
ध्यान देने योग्य बातें
यह भी महत्वपूर्ण है कि आम नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। मुनगंटीवार की पहल यह प्रेरणादायक है कि नागरिक अपने अधिकारों का उपयोग करें और यह सुनिश्चित करें कि उनके प्रतिनिधि पारदर्शी और उत्तरदायी रहें।
समापन विचार
इस संदर्भ में, सुधीर मुनगंटीवार ने न केवल अपने constituents के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है, बल्कि उन सभी लोकप्रतिनिधियों के लिए भी जो प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में यकीन रखते हैं। उनकी कोशिशें यह दिखाती हैं कि यदि मन में इरादा दृढ़ हो, तो किसी भी चीज की शुरुआत की जा सकती है। आरटीआई के माध्यम से वे जनता और प्रशासन के बीच की दूरी को कम करने में सफल हुए हैं।
उदाहरण के लिए, यदि अन्य विधायक भी इस परंपरा को अपनाते हैं, तो देश में प्रशासनिक व्यवस्था में एक नई ऊर्जा का संचार होगा, जिससे नागरिकों का विश्वास बढ़ेगा और लोकतंत्र को और मजबूत बनाया जा सकेगा। सुधीर मुनगंटीवार का यह कदम निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला है और इसकी सराहना की जानी चाहिए।



