राजनीतिक भविष्य ईवीएम में कैद, चंद्रपुर जिले में कड़ी टक्कर, ये हो सकते हैं नतीजे

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राजनीतिक भविष्य ईवीएम में कैद, चंद्रपुर जिले में कड़ी टक्कर, ये हो सकते हैं नतीजे


विशेष रिपोर्ट: अनुप यादव ग्लोबल महाराष्ट्र ग्ब्यूरो, चंद्रपुर

पुरा विश्लेषण:- महाराष्ट्र की सियासत में चंद्रपुर जिले का हमेशा से खास महत्व रहा है। इस बार भी चंद्रपुर की राजनीति चर्चा का केंद्र बनी हुई है। जिले की छह विधानसभा सीटों पर वोटिंग संपन्न हो चुकी है और अब सबकी नजरें ईवीएम से निकलने वाले नतीजों पर टिकी हैं। मुख्य मुकाबला ब्रह्मपुरी, राजुरा, चिमूर और वरोरा विधानसभा क्षेत्रों में है। विरोधी दल के नेता विजय वडेट्टीवार और पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार जैसे दिग्गज नेताओं के चुनावी प्रदर्शन ने इन चुनावों को और दिलचस्प बना दिया है।

ब्रह्मपुरी: वडेट्टीवार की अपराजेय स्थिति बरकरार

चंद्रपुर जिले की ब्रह्मपुरी सीट से कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार एक बार फिर मजबूत स्थिति में हैं। राजनीति में कदम रखने के बाद से विजय वडेट्टीवार ने हर चुनाव में जीत दर्ज की है। इस बार भी उनके पक्ष में मजबूत जनाधार है। भाजपा ने कृष्णलाल सहारे को मैदान में उतारा है, लेकिन स्थानीय समीकरणों और विजय वडेट्टीवार के संगठनात्मक कौशल के चलते सहारे की जीत की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं।

चिमूर: रिकॉर्ड मतदान से बदले समीकरण

चिमूर विधानसभा में इस बार रिकॉर्ड 81.75% मतदान हुआ है, जो यहां बदलाव के संकेत दे रहा है। बीजेपी के मौजूदा विधायक बंटी भांगड़िया के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कांग्रेस के अविनाश वाजुरकर ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। जानकारों का कहना है कि भारी मतदान से बीजेपी को झटका लग सकता है और वाजुरकर यहां बाजी मार सकते हैं।

राजुरा: आदिवासी सीट पर चौरंगी मुकाबला

राजुरा विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल है, जहां 72.71% मतदान हुआ। इस सीट पर कांग्रेस के सुभाष धोटे और तीसरे मोर्चे के वामनराव चटप के बीच कांटे की टक्कर है। पिछली बार वामनराव चटप 17वें राउंड तक आगे थे, लेकिन अंततः सुभाष धोटे ने उन्हें हराया। इस बार चटप ने अपने जनाधार को और मजबूत किया है, जिससे उनके 2000-3000 वोटों के अंतर से जीतने की संभावना है।

चंद्रपुर: सत्ताधारी दल के लिए चुनौती

चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 57.98% मतदान हुआ है, जो सत्ताधारी भाजपा के उम्मीदवार किशोर जोरगेवार के लिए चिंताजनक है। निर्दलीय उम्मीदवार ब्रुजभूषण पाझारे ने यहां जोरदार प्रचार किया और स्थानीय मुद्दों को भुनाया। दूसरी ओर, कांग्रेस के प्रवीण पडवेकर ने दलित और मुस्लिम वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पडवेकर और ब्रिजभुषण पझारे ने बिजेपी के उम्मीदवार किशोर जोरगेवार को कड़ी चुनौती देते नजर आए हैं। पर पुर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहिर का समर्थन किशोर जोरगेवार के लिए लाभकारी साबित हुआ है. वहीं चंद्रपुर शहर की लाडली बहनों ने भी किशोर जोरगेवार का भरपूर समर्थन किया है. किशोर जोरगेवार के 200 यूनिट वादे की भरपाई लाडली बहना योजना करती नजर आई है.

वरोरा: त्रिकोणीय मुकाबला, भाजपा बढ़त में

वरोरा विधानसभा सीट पर शुरुआती दौर में पंचकोणीय मुकाबला था, जो अंततः त्रिकोणीय हो गया। बीजेपी के करण देवतळे यहां बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश जीवतोड़े ने कड़ी चुनौती पेश की। कांग्रेस के प्रवीण काकड़े ने भी अंतिम दिनों में पूरी ताकत झोंक दी। हालांकि, बीजेपी के संगठित प्रचार और मतदाताओं के रुझान को देखते हुए देवतळे की जीत की संभावना प्रबल मानी जा रही है।

जिले में मतदान का आंकड़ा और संभावनाएं

जिले में कुल मतदान प्रतिशत:

  • राजुरा: 72.71%
  • चंद्रपुर: 57.98%
  • बल्लारपुर: 69.70%
  • ब्रह्मपुरी: 80.54%
  • चिमूर: 81.75%
  • वरोरा: 69.48%

मतदान के ये आंकड़े दिखाते हैं कि जहां ज्यादा मतदान हुआ है, वहां परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं। ब्रह्मपुरी और चिमूर में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, जबकि वरोरा में बीजेपी की स्थिति अच्छी मानी जा रही है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चंद्रपुर जिले के नतीजे राज्य की राजनीति की दिशा तय कर सकते हैं। कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होने के बावजूद निर्दलीय उम्मीदवारों ने कई जगह समीकरण बदले हैं। अब सबकी नजर 3 दिन बाद आने वाले परिणामों पर है।