
चंद्रपुर जिला सुरक्षा रक्षक मंडल में बोगस भर्ती और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश.!
चंद्रपुर, 19 सितंबर 2025।
संवाददाता:- अनुप यादव ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज
पुरी खबर:- चंद्रपुर जिला सुरक्षा रक्षक मंडल में बोगस भर्ती, आर्थिक भ्रष्टाचार और बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला उजागर हुआ है। आरोप है कि मंडल के अध्यक्ष, सचिव और संबंधित अधिकारियों ने संगनमत कर अपात्र उम्मीदवारों की अवैध भर्ती की और लाखों रुपयों की रिश्वत लेकर नियमों को दरकिनार किया।
मंडल का उद्देश्य और भ्रष्टाचार का खुलासा
वर्ष 2012 में महाराष्ट्र शासन ने महाराष्ट्र खासगी सुरक्षा रक्षक नोकरी नियम व कल्याण अधिनियम 1981 के तहत चंद्रपुर और गडचिरोली जिलों के लिए मंडल की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य निजी सुरक्षा एजेंसियों में काम कर चुके रक्षकों को वैधानिक सुरक्षा और रोजगार में न्याय दिलाना था।
लेकिन वास्तविकता में भर्ती प्रक्रिया में 2.5 से 3 लाख रुपये तक की अवैध वसूली करके बोगस उम्मीदवारों की नियुक्ति की गई। इसके पुख्ता सबूत—वीडियो, ऑडियो और फोटो—सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
बेरोजगार सुरक्षा रक्षक न्याय से वंचित
चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र (CSTPS) में पूर्व में कार्यरत 101 सुरक्षा रक्षक आज तक मंडल में नोंदणी से वंचित हैं। 2015 से बेरोजगारी झेल रहे ये रक्षक न्याय की प्रतीक्षा में हैं। इसी तरह चंद्रपुर सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी असली सुरक्षा रक्षकों को हटाकर गलत नियुक्तियां की गईं।
बोगस शिफारस पत्र और फर्जी कागजात
मंडल के भ्रष्ट अधिकारियों ने विभिन्न उद्योगों, मिलों, महावितरण, स्वास्थ्य विभाग और विश्वविद्यालय जैसे आस्थापनों के नाम पर बोगस शिफारस पत्र, खोटी हाजिरी पुस्तकें और फर्जी दस्तावेज़ बनाकर अपात्र लोगों को सुरक्षा रक्षक के रूप में पंजीकृत कर दिया।
इनमें बजरंग डोलिंग एंड ट्रान्सपोर्ट, श्री सौजन्य राइस मिल, मिरा राइस मिल, राज राइस मिल, विदर्भ राइस मिल, साईबाबा मेटल इंडस्ट्री, महावितरण कंपनी, गोंडवाना विश्वविद्यालय, वायु वंदना पावर प्लांट सहित करीब 18 आस्थापनों के नाम सामने आए हैं।
जांच और कार्रवाई की मांग
पत्रकार परिषद में महाराष्ट्र नवनिर्माण कामगार सेना के राज्य उपाध्यक्ष सचिन भोयर, नितीन भोयर, समीर शेख तथा महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (नाशिक) के पदाधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि मंडल ने आर्थिक लाभ लेकर असली सुरक्षा रक्षकों का हक छीन लिया।
पीड़ितों की मांग है कि महाराष्ट्र शासन तत्काल चौकशी समिति गठित करे, मंडल के अध्यक्ष, सचिव और संबंधित कर्मचारियों पर फौजदारी गुन्हा दाखिल करे तथा 1981 अधिनियम की धारा 7(घ), 14(2) और 24(7) के तहत कठोर कार्रवाई की जाए।
नतीजा
इस घोटाले ने न केवल बेरोजगार युवाओं के हक छीने हैं, बल्कि सरकारी नियमों की धज्जियाँ भी उड़ाई हैं। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि शासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।



