दीपावली पर पटाखों की दुकानों पर सख़्त नियम — बिना लाइसेंस बिक्री पर कार्रवाई

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दीपावली पर पटाखों की दुकानों पर सख़्त नियम — बिना लाइसेंस बिक्री पर कार्रवाई

Explosives Act 1884 और Explosives Rules 2008 लागू, महाराष्ट्र में PESO व जिला प्रशासन से लेना होगा परमिट

चंद्रपुर/महाराष्ट्र :

दि. 19 अगस्त 2025

मुख्य संपादक:- अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज 

पुरी खबर:- दीपावली करीब आते ही पूरे महाराष्ट्र में पटाखों की बिक्री के लिए दुकानें और अस्थायी स्टॉल लगने लगते हैं। लेकिन इन दुकानों को चलाने के लिए सख़्त नियम और सरकारी अनुमति अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है।

पटाखों की बिक्री और भंडारण पर देशभर में Explosives Act, 1884 और उसके तहत बनाए गए Explosives Rules, 2008 लागू होते हैं। इन नियमों के अनुसार पटाखों का निर्माण, भंडारण, परिवहन और बिक्री केवल अधिकृत लाइसेंस धारक ही कर सकते हैं।

लाइसेंस कौन देता है?

महाराष्ट्र में पटाखा दुकान चलाने या अस्थायी स्टॉल लगाने के लिए Petroleum & Explosives Safety Organisation (PESO) वर्धा तथा जिला प्रशासन (District Magistrate) से लाइसेंस लेना पड़ता है।

  • रिटेल दुकानों के लिए LE-5 जैसे फॉर्म पर लाइसेंस दिया जाता है।
  • अस्थायी स्टॉल के लिए नगर निगम/नगर परिषद और पुलिस विभाग की NOC अनिवार्य होती है।
  • बड़े भंडारण के लिए Controller of Explosives से अलग लाइसेंस ज़रूरी है।
  • दुकानें केवल उन्हीं स्थानों पर लगाई जा सकती हैं जिन्हें प्रशासन ने तय किया हो।

भंडारण के नियम

Explosives Rules 2008 के मुताबिक पटाखों के भंडारण पर कड़ी पाबंदियाँ हैं।

  • एक रिटेल दुकान में 100 किलो तक ही पटाखे रखे जा सकते हैं।
  • गोदाम या दुकान मजबूत, हवादार और अग्निरोधक सामग्री से बनी होनी चाहिए।
  • पेट्रोल, डीज़ल, गैस सिलेंडर या अन्य ज्वलनशील पदार्थ उसी परिसर में नहीं रखे जा सकते।
  • भंडारण स्थल पर हमेशा अग्निशामक यंत्र, पानी की बाल्टियाँ और रेत के बैग उपलब्ध होना अनिवार्य है।
  • दुकान या गोदाम धूप, गर्मी और आग के स्रोत से दूर होना चाहिए।
  • रात में सुरक्षा के लिए प्रकाश व्यवस्था और चौकीदार/गार्ड होना चाहिए।
  • किसी भी दुर्घटना की स्थिति में तुरंत फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना देना ज़रूरी है।

क्या हैं मुख्य नियम?

  • दुकान या स्टॉल पर पटाखों की सीमित मात्रा ही रखी जा सकती है।
  • स्कूल, हॉस्पिटल और धार्मिक स्थलों के पास पटाखा दुकान लगाने पर रोक है।
  • दुकान में फायर सेफ़्टी उपकरण, अग्निशामक और आपातकालीन निकासी मार्ग होना ज़रूरी है।
  • केवल अधिकृत और मानक ध्वनि स्तर वाले पटाखे ही बेचे जा सकते हैं।
  • 200 डेसीबल से अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों की बिक्री प्रतिबंधित है।
  • बिना लाइसेंस बिक्री करने वालों पर पटाखों की ज़ब्ती और Explosives Act के तहत मामला दर्ज हो सकता है।

प्रशासन का अलर्ट

हर साल दीपावली से पहले जिला प्रशासन और पुलिस विभाग दुकानदारों को चेतावनी जारी करते हैं कि बिना अनुमति स्टॉल लगाने वालों पर सख़्त कार्रवाई की जाएगी। PESO और स्थानीय फायर ब्रिगेड निरीक्षण कर सुरक्षा मानकों की जाँच करते हैं।

निष्कर्ष

दीपावली पर जहां एक ओर रोशनी और खुशियों का त्योहार होता है, वहीं दूसरी ओर पटाखों से होने वाले हादसों और प्रदूषण को रोकने के लिए नियमों का पालन भी उतना ही ज़रूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को चाहिए कि वे केवल लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही पटाखे खरीदें और सुरक्षा मानकों का पालन करें।

इसी प्रकार चंद्रपुर शहर में बंगाली कैंप, कोहिनूर तलाश , नांदगांव र विसापुर में बड़े पैमाने पर दुकानें लगाई जाती है। इन जगहों पर किसनी सुरक्षा बरती जाती है इसपर सवाल खड़े होते रहते है? वही नांदगांव में गाव से सटकर लगने वाली दुकानें भी सवालों के घेरे में रहती है। क्योंकी समय के पहले लगने वाली दुकानों का प्रशासनिक व्यवस्था से साठ गांठ होने अंदेशा जताया जा रहा है।

आने वाले भाग में देखिए विस्तार पूर्वक जिले की दुकानों की जानकारी.!