
एसईसीएल चिरमिरी माइंस हादसा : हॉट स्टाटा के कारण हुआ ब्लास्ट, प्रबंधन की बड़ी लापरवाही उजागर
📍 कोरबा | 07 अक्टूबर 2025 | ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज डेस्क
पुरी घटना :- एसईसीएल (South Eastern Coalfields Limited) के चिरमिरी ओपनकॉस्ट माइंस में सोमवार दोपहर हुए सीरियल ब्लास्ट हादसे ने खदान प्रबंधन की बड़ी लापरवाही को उजागर कर दिया है। विस्फोट की चपेट में आने से 10 कामगार घायल हुए हैं, जिनमें एसईसीएल के कर्मचारी और ठेका मजदूर दोनों शामिल हैं। हादसे के दौरान मौके पर मौजूद कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए।

क्या हुआ था हादसे के दिन
जानकारी के अनुसार, 06 अक्टूबर की दोपहर करीब 2 बजे चिरमिरी ओपनकॉस्ट माइंस में ब्लास्ट की तैयारी चल रही थी।
खदान के अपर फेस पर 20 ब्लास्ट होल तैयार कर बारूद भरा गया था। उसी दौरान एक अधिकारी ने निर्देश दिया कि पहले लोवर फेस पर ब्लास्टिंग की जाए।
कामगारों ने आदेश के अनुसार लोवर फेस पर 21 होल कर ब्लास्टिंग की प्रक्रिया शुरू की।
लेकिन जैसे ही वे वाहनों को हटाने लगे, अचानक अपर फेस में सीरियल ब्लास्ट शुरू हो गया। बड़े-बड़े पत्थर हवा में उछलकर नीचे गिरे, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
घटना में 10 कामगार घायल हुए, जिनमें महिला कामगार भी शामिल थीं। सभी को रिजनल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
घायलों के नाम
हसमत अली, मान कुंवर, मुलारो बाई, दुर्गावर्ती, हीरामणी, शंकर प्रसाद, मनोज दास, मान साय, रविशंकर और शिव कुमार।
कारण: “हॉट स्टाटा” — यानी ज़मीन के नीचे की गर्मी
कोल इंडिया सेफ्टी बोर्ड के सदस्य संजय सिंह ने बताया कि इस हादसे की मूल वजह हॉट स्टाटा है।
जिस क्षेत्र में विस्फोट हुआ, वहां पहले से कोयले में आग लगी हुई थी, जिसके कारण जमीन का तापमान 80 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।
इसी कारण अपर फेस के 20 होल में बारूद समय से पहले ही विस्फोटित हो गया।
“प्रबंधन की गंभीर लापरवाही” — संजय सिंह
संजय सिंह ने कहा कि यह घटना पूरी तरह प्रबंधन की लापरवाही का परिणाम है।
अपर फेस में पहले से बारूद डाल दिया गया था, ऐसे में वहीं पहले ब्लास्ट होना चाहिए था।
बारूद डालने के बाद अधिकतम दो घंटे के भीतर ब्लास्टिंग करनी होती है, लेकिन प्रबंधन ने इसे लंबी अवधि के लिए छोड़ दिया।
> “शुक्र है कि कोई सीधा विस्फोट की चपेट में नहीं आया, वरना लोगों के टुकड़े-टुकड़े हो जाते।”
— संजय सिंह, सदस्य, कोल इंडिया सेफ्टी बोर्ड
उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए सब एरिया मैनेजर मनीष कुमार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
मंगलवार को उन्होंने मौके का निरीक्षण भी किया।
निष्कर्ष
यह हादसा खनन क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
“हॉट स्टाटा” जैसी स्थिति में सुरक्षा मानकों का पालन न करना मानव जीवन से खिलवाड़ के समान है।
अब देखना यह होगा कि एसईसीएल प्रबंधन इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करता है या



