पडोली बना अपराध का गढ़, CSTPS से 31 करोड़ की पाइपलाइन चोरी?
31 करोड़ की पाइपलाइन गायब, CSTPS प्रशासन बना मूकदर्शक?
भाग – 3
चंद्रपुर | महाराष्ट्र
दि: 27-सितंबर-2025
मुख्य संवाददाता: अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज, ग्लोबल मिशन न्यूज
पुरी खबर :– औद्योगिक जिला चंद्रपुर का प्रवेश द्वार और ट्रांसपोर्ट हब कहलाने
वालापडोली क्षेत्र इन दिनों अपराध और अव्यवस्था का पर्याय बन गया है। कभी
ट्रांसपोर्ट और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र माना जाने वाला यह इलाका अब जुआ,
सट्टा, डीज़ल तस्करी, चोरी और गुंडागर्दी का अड्डा बन चुका है। हाल ही में यहां की
पुलिस ने एक पत्रकार पर ही झूठा अपराध दर्ज कर दिया जिसने पुलिस और प्रशासन की
मनमानी को उजागर किया था। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर यह हमला पूरे जिले में चर्चा
का विषय बना हुआ है और प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
ट्रांसपोर्ट से अपराध तक का सफर
पडोली क्षेत्र को कभी चंद्रपुर का ट्रांसपोर्ट हब कहा जाता था। यहां से मालवाहक
ट्रकों और व्यवसायिक परिवहन की गतिविधियां पूरे जिले में फैलती थीं। लेकिन समय के
साथ-साथ इस इलाके ने अपराध का चेहरा ओढ़ लिया। अब यहां खुलेआम सट्टेबाजी, जुआ,
डीज़ल और शराब की अवैध तस्करी, चोरबाज़ारी और गुंडागर्दी का बोलबाला है।
स्थानीय नागरिक बताते हैं कि पुलिस की ढिलाई और मिलीभगत के कारण अपराधियों के
हौसले बुलंद हैं। आम आदमी को न्याय की उम्मीद से ज्यादा डर का माहौल महसूस हो रहा
है।
CSTPS: माफियाओं की सोने की खदान
इतना ही नही इसी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले और चंद्रपुर का गौरव माना जाने वाला
चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (CSTPS) अब माफियाओं के लिए सोने की खदान साबित
हो रहा है। सूत्रों की मानें तो बीतेसात–आठ महीनों में लगभग 31 करोड़ रुपए मूल्य
की पाइपलाइन यहां से चोरी हो चुकी है।और CSTPS प्रशासन को इसकी भनक ना हो यह समझ के परे है।
यह चोरी कोई सामान्य वारदात नहीं बल्कि एक संगठित अपराध का हिस्सा है। और इस
अपराध में कई लोग शामिल बताए जा रहे है। अनुमान लगाया जा रहा है की यह कम से कम
तिस लोगों का गिरोह है, जो हर रोज CSTPS में डाका डाल रहा है। और इस डाके को
सुचारू रूप से डालने के लिए हर महीने लगभग 30 लाख रुपए की “सेटिंग” तय की गई है।
इसमें सुरक्षा इंचार्ज सुशिल घोगले से लेकर कई प्रसाशनिक अमले तक की हिस्सेदारी बटी
बताई जा रही है।
चोरी का पूरा तंत्र
मिली जानकारी के अनुसार चोरी का सिलसिला CSTPS सुरक्षा इंचार्ज से शुरू होता है।
ड्यूटी की लापरवाही जानबूझकर बरती जाती है, ताकि माफिया आराम से अंदर घुस सके,
वहीं चोरों को सुरक्षा प्रदान की जा सके। यहां पर चोर पाइप काटने के लिए कटर मशीन,
ऑक्सीजन सिलेंडर और गैस सिलेंडर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करते हैं। कटे हुए
पाइपों को पहले पास के ईंट भट्टों की आड़ मे पोकलेन मशीनों से उठाकर छिपाया जाता
है। फिर तय दिन पर ट्रैक्टरों और ट्रकों में भरकर उन्हें कबाड़ की दुकानों तक पहुंचाया जाता है। बाद में इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर कबाड़ बाजार में बेच दिया जाता है। इस पुरी डकैती मे श्रीकांत काले, आशिम शेख और सुशिल घोगले जैसे बड़े नाम सामने आ रहे हैं।
अपराध से आलीशान जिंदगी
सूत्र बताते हैं कि इन कबाड़ माफियाओं ने चोरी के पैसों से नागपुर में आलीशान
बंगले और संपत्तियां खड़ी कर ली हैं। चंद्रपुर की जमीन ( cstps ) से लूटी गई यह
दौलत अब शहर से बाहर ऐशो-आराम में बदली जा रही है।
हैरानी की बात यह है कि CSTPS प्रशासन अपनी ही संपत्ति लुटते देखने के बावजूद
चुप्पी साधे हुए है। सुरक्षा तंत्र और प्रबंधन की यह निष्क्रियता इस पूरे खेल में उनकी मिलीभगत के संदेह को और गहरा करती है।
प्रशासन पर उठते सवाल
पडोली क्षेत्र की बिगड़ती स्थिति और CSTPS की लूट ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर
गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब सात महीनों में31 करोड़ की संपत्ति चोरी हो जाए और
अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई न हो, तो यह आम जनता के भरोसे को हिला देने वाली बात
है।
स्थानीय नागरिक और जागरूक संगठन अब जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग कर रहे
हैं कि इस संगठित अपराध कीजांच उच्च स्तरीय समिति से कराई जाए और दोषियों पर सख्त
कार्रवाई हो।
⚡ निचोड़
पडोली क्षेत्र पुलिस की मनमानी, ट्रांसपोर्ट माफियाओं की दबंगई और CSTPS की
करोड़ों की लूट से आजअपराध का गढ़ बन चुका है। सवाल यही है—क्या प्रशासन अब जागेगा
या फिर शित निद्रा में रहते हुए जिले की संपत्ति को अपराधियों के हवाले कर देगा?



