चंद्रपुर में इरई नदी पर रेत तस्करों का कब्जा, सरकारी तंत्र बेबस!

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चंद्रपुर में इरई नदी पर रेत तस्करों का कब्जा, सरकारी तंत्र बेबस!

चंद्रपुर, महाराष्ट्र – 26 नवंबर 2024

मुख्य संपादक: अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज नेटवर्क 

चंद्रपुर ब्यूरो : चंद्रपुर जिले के इरई नदी में रेत तस्करी की गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं, जो न केवल पर्यावरण के लिए खतरा बन चुकी हैं, बल्कि सरकारी तंत्र की नाकामी को भी उजागर कर रही हैं। इरई नदी, जो जिले की प्रमुख जलधारा मानी जाती है, में हर साल मानसून के बाद लाखों ब्रास रेत बहकर जमा होती है, लेकिन अब यह नदी रेत माफियाओं के लिए अवैध धन उगाही का एक प्रमुख स्रोत बन गई है। नदी के किनारे से लेकर इसके विभिन्न हिस्सों तक, तस्करों ने व्यापक रूप से अपना , अपना कब्जा जमा लिया है, और सरकारी प्रयासों के बावजूद यह तस्करी जारी है।

रेत तस्करी का खुला खेल – सरकारी तंत्र बेबस
चंद्रपुर तहसील के इरई डेम से लेकर किटाडी, भटाडी, छोटा नागपुर, पडोली, बिम्बा गेट, पठानपुरा गेट, जमनजट्टि, नादगाव जैसे कई क्षेत्रों में रेत तस्करी खुलेआम चल रही है। ये तस्कर नदी के किनारे से रेत निकालकर उसे अवैध तरीके से बेच रहे हैं, जिससे न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय पुलिस और प्रशासन इन तस्करों को रोकने में पूरी तरह से नाकाम हो चुके हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार और तंत्र की इच्छा शक्ति खत्म हो चुकी है?

सांठगांठ का शक – रेत तस्करों के लिए सुरक्षा कवच
इस रेत तस्करी के मामलों में यह भी आरोप लग रहे हैं कि कुछ सरकारी अधिकारियों और रेत माफियाओं के बीच सांठगांठ है, जो इन तस्करों को अवैध गतिविधियों से बचाने का काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, रेत माफिया और कुछ स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी मिलकर महसूल चोरी में शामिल हैं, और यह गठजोड़ रेत तस्करों को न केवल सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि उन्हें पुलिस और प्रशासन से बचने का रास्ता भी दिखाता है।

पर्यावरण पर प्रभाव – नदी की सुंदरता पर संकट
इरई नदी का एतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व है, लेकिन रेत माफियाओं के हाथों में इसकी सुंदरता और पारिस्थितिकी संकट में पड़ चुकी है। तस्करी के कारण नदी के प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन और जल स्तर में गिरावट की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। यह न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि समग्र रूप से जिले और राज्य के पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा है।

क्या रेत माफियाओं को मिलेगा कोई कड़ा संदेश?
रेत माफिया की बढ़ती दबंगई और सरकारी तंत्र की बेबसी ने जनता के बीच असंतोष की लहर पैदा कर दी है। लोगों का कहना है कि यदि सरकार और प्रशासन ने जल्दी इस पर काबू नहीं पाया, तो न केवल इरई नदी का सौंदर्य नष्ट होगा, बल्कि इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी भी गंभीर रूप से प्रभावित होगी। अब यह देखना होगा कि क्या राज्य और केंद्र सरकार इस गंभीर मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाती है और रेत माफियाओं को कानूनी शिकंजे में लाती है, या यह माफिया अपनी नापाक गतिविधियों को जारी रखते हुए और भी अधिक सत्ता और पैसे के साथ बढ़ते जाएंगे।

निष्कर्ष
चंद्रपुर जिले के इरई नदी में रेत तस्करी का मामला अब एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। सरकारी तंत्र की निष्क्रियता और तस्करों के बढ़ते प्रभाव ने नदी और उसके आसपास के पर्यावरण को संकट में डाल दिया है। रेत माफियाओं की दबंगई के चलते प्रशासन की नाकामी को उजागर कर दिया है, और अब समय आ गया है कि इन माफियाओं को कड़ी सजा दिलवाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।