चंद्रपुर: ठेकेदारों की मनमानी और भ्रष्टाचार से वाहन चालकों का आर्थिक शोषण..

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चंद्रपुर: ठेकेदारों की मनमानी और भ्रष्टाचार से वाहन चालकों का आर्थिक शोषण,

आंदोलन 31 वें दिन भी लगातार जारी.

 
 
चंद्रपुर/महाराष्ट्र 
दि. 31 डिसेंबर 2024
मुख्य संपादक : अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज 
 
 
पुरी खबर:- चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र में ठेके पर कार्यरत वाहन चालकों का वर्षों से आर्थिक शोषण हो रहा है। प्रशासन की नाकामी और ठेकेदारों की बेखौफ मनमानी ने इन चालकों की जिंदगी को नारकीय बना दिया है। न्यूनतम वेतन और भत्तों का भुगतान, जो कि कानूनन उनका हक है, उसे ठेकेदार खुलेआम नजरअंदाज कर रहे हैं। लगभग 40-50 चालक ठेकेदारों के अधीन काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें केवल 9,000-10,000 रुपये तक का वेतन दिया जाता है, जबकि दस्तावेजों में उनके नाम पर 22,000-23,000 रुपये का भुगतान दिखाया जा रहा है।
मनसे का 31 दिन से जारी आमरण अनशन और कामबंद आंदोलन
महाराष्ट्र नवनिर्माण कामगार सेना (मनसे) ने इन चालकों के हक की लड़ाई लड़ते हुए पिछले 31 दिनों से आमरण अनशन और कामबंद आंदोलन छेड़ा हुआ है। इस आंदोलन का नेतृत्व मनसे कामगार सेना के राज्य उपाध्यक्ष सचिन भोयर कर रहे हैं। ठेकेदारों की धांधली और प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ यह आंदोलन अब चंद्रपुर में चर्चा का प्रमुख विषय बन चुका है।
ठेकेदारों पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप
पठाण ब्रदर्स टैक्सी सर्विस, वैष्णवी इंटरप्राइजेस, सम्यक टूर्स एंड ट्रैवल्स, आरएसएस ट्रैवल्स और गुरुकृपा ट्रैवल्स जैसी कंपनियों पर गंभीर आरोप हैं। चालकों का कहना है कि इन ठेकेदारों द्वारा उनकी सैलरी उनके बैंक खातों में जमा तो की जाती है, लेकिन बाद में चालकों से पैसे जबरन वापस ले लिए जाते हैं। इतना ही नहीं, चालकों के जरूरी कागजात, पासबुक और एटीएम कार्ड तक ठेकेदारों द्वारा जब्त कर लिए जाते हैं।
सम्यक टूर्स टैक्सी सर्विस पर यह आरोप भी है कि उसने चालकों की सहमति के बिना उनके नाम से बुलढाणा कोऑपरेटिव अर्बन बैंक में फर्जी सैलरी खाते खोल दिए और इनके पासबुक व एटीएम कार्ड जब्त कर लिए। यह साफ तौर पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का मामला है, लेकिन प्रशासन इस पर आंखें मूंदे बैठा है।
प्रशासन का अड़ियल रवैया
यह हैरान करने वाली बात है कि इतने गंभीर मामले के बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। वाहन चालकों ने मनसे के माध्यम से बार-बार अपनी शिकायतें अधिकारियों तक पहुंचाई हैं। मुख्य अभियंता, सहायक श्रम आयुक्त और अन्य उच्च अधिकारियों को भी ज्ञापन दिया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
प्रशासन के इस अड़ियल रवैये ने आंदोलनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया है। 31 दिनों से चल रहे इस आंदोलन के दौरान प्रशासन की बेरुखी से हालात और भी गंभीर हो गए हैं।
आंदोलनकारियों की स्थिति चिंताजनक
आमरण अनशन के कारण आंदोलनकारियों की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। सुरज जांभुळे, सागर खाडीलकर और शुभम बिसेन की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके बावजूद प्रशासन टस से मस नहीं हो रहा।
आंदोलन के उग्र होने की संभावना
मनसे ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और उग्र होगा। प्रमुख मांगों में वाहन चालकों को उनका हक का वेतन दिलाना, चार महीने का बकाया वेतन चुकाना, हटाए गए चालकों को पुनः बहाल करना और ठेकेदार कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करना शामिल है।
यह आंदोलन अब केवल वाहन चालकों की लड़ाई नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही और ठेकेदारों की धांधली के खिलाफ जनसरोकार का मुद्दा बन चुका है। प्रशासन की यह बेरुखी आने वाले समय में बड़े विरोध का कारण बन सकती है।