चंद्रपुर जिले में अवैध रेत उत्खनन: प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल.?

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चंद्रपुर जिले में अवैध रेत उत्खनन: प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल.?

 

चंद्रपुर/महाराष्ट्र 

दि. 03 फरवरी 2025

रिपोर्ट:- अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज 


नमस्कार!  आप देख रहे हैं ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज। आज हम आपको एक ऐसे मुद्दे से अवगत कराएंगे, जो चंद्रपुर जिले में दिन-प्रतिदिन बढ़ते अवैध रेत उत्खनन और तस्करी के गंभीर मामले से जुड़ा हुआ है। यह गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है, और प्रशासन, सरकार तथा नेताओं की आंखों के सामने हो रहा है। फिर भी, इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? क्या भ्रष्टाचार ने प्रशासन को पूरी तरह से जकड़ लिया है? आइए जानते हैं।

मुख्य खबर

चंद्रपुर जिले में अवैध रेत उत्खनन की गतिविधियां खुलेआम चल रही हैं। कई रेत घाटों पर बिना अनुमति के मशीनों के माध्यम से रेत निकाली जा रही है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। पर्यावरण संरक्षण विभाग और जिला प्रशासन की मूकदर्शिता ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। हाल ही में, सरकार ने 9 सरकारी प्रकल्पों के लिए रेत घाटों का आवंटन किया है, लेकिन आम नागरिकों के लिए रेत की उपलब्धता नहीं हो रही है। परिणामस्वरूप, नागरिक अवैध रेत खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं, और यह रेत ऊंचे दामों पर बेची जा रही है, जो भ्रष्टाचार का साफ इशारा करती है।

आज, शहर की हर गली और मोहल्ले में रेत के ढेर दिखाई दे रहे हैं, लेकिन प्रशासन को यह सब दिखाई नहीं दे रहा। रेत माफिया बिना किसी डर के सरकारी तिजोरी पर डाका डाल रहे हैं, और प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासन कब जागेगा? या फिर यह स्थिति यूं ही चलती रहेगी?

राजनीतिक निष्क्रियता पर सवाल

चंद्रपुर जिले में बीजेपी के पांच विधायक हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर किसी ने भी आवाज नहीं उठाई। प्रधानमंत्री की घरकुल योजना के लाभार्थियों को भी रेत की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें रेत नहीं मिल रही, जबकि सरकारी प्रकल्पों के लिए रेत की बड़ी मात्रा आवंटित की जा रही है। यह राजनीतिक निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।

सरकारी नियमों की अनदेखी

सरकारी प्रकल्पों के लिए आवंटित रेत घाटों पर नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। बिना किसी निगरानी के मशीनों से रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है, और पर्यावरण संरक्षण कानूनों की अनदेखी की जा रही है। अगर इन घाटों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की जाए, तो कई राज खुल सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि यह जांच कौन करेगा?

प्रशासनिक ढील और भ्रष्टाचार का खेल

जिला प्रशासन केवल दिखावे के लिए ट्रैक्टर पकड़कर कार्रवाई का दिखावा करता है, लेकिन असली गड़बड़ी को नजरअंदाज कर रहा है। यह स्थिति यह सवाल उठाती है कि क्या प्रशासन खुद इस भ्रष्टाचार का हिस्सा है? क्या जिला प्रशासन और संबंधित अधिकारी इस मामले पर चुप क्यों हैं?

क्या प्रशासन की यह निष्क्रियता किसी बड़े भ्रष्टाचार के खेल का हिस्सा है? क्या आम नागरिकों को इंसाफ मिलेगा, या फिर यह गोरखधंधा यूं ही चलता रहेगा? यह सवाल चंद्रपुर की जनता के सामने खड़ा है।

आज की हकीकत दर्शाता शेर

“सिस्टम की चौखट पर इंसाफ़ सो गया,
गरीब रोता रहा, भ्रष्टाचार हो गया।”

आउट्रो
फिलहाल के लिए बस इतना ही, लेकिन यह मुद्दा यहीं खत्म नहीं होता। हम इस खबर पर नजर बनाए रखेंगे। जुड़े रहिए ग्लोबल मिशन न्यूज के साथ।

नमस्कार!