
पेनाल्टी का डर बना हादसे की वजह? बाबुपेठ में रेलिंग टुटने पर उठे कई सवाल.? हादसे की जिम्मेदारी तय हो: नागरिकों का सवाल.?
चंद्रपुर, महाराष्ट्र – 23 सितंबर, 2025
संवाददाता: अनुप यादव, ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज
पुरी घटना:— चंद्रपुर शहर के बाबुपेठ स्थित नेताजी सुभाषचंद्र बोस चौक के पास रविवार रात एक महिला गट की बैठक में बड़ा हादसा हो गया। यह बैठक बाबुपेठ महिला गट की अध्यक्ष चंदा वैरागडे के घर की छत पर आयोजित की गई थी। बैठक में अचानक छत की रेलिंग भरभराकर टूट गई, जिससे वहां खड़ी तीन महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं।
हादसे के समय करीब 200 महिलाएं बैठक में मौजूद थीं। भीड़ अधिक होने के कारण कई महिलाएं रेलिंग के सहारे खड़ी थीं। रेलिंग के टूटने से नीचे गिरने वाली महिलाओं में अफरा-तफरी मच गई। घटना के तुरंत बाद, घायलों को डॉ. झाड़े के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज किया गया। बताया जाता है कि डॉ. झाड़े भी इस बैठक में मौजूद थे।
बैठक पर उठे गंभीर सवाल
इस घटना ने केवल बाबुपेठ ही नहीं, बल्कि पूरे शहर में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और पत्रकारों ने इस बैठक के आयोजन और उसके पीछे के उद्देश्यों पर गहरी शंका जताई है:
1. अनिवार्य उपस्थिति और पेनाल्टी की धमकी: सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल होने के लिए महिलाओं पर दबाव डाला गया था। यह आरोप है कि जो महिलाएं उपस्थित नहीं होंगी, उनसे ₹200 का जुर्माना वसूलने की धमकी दी गई थी। इस दबाव के चलते कई महिलाएं अपने जरूरी काम छोड़कर मजबूरी में बैठक में शामिल हुईं.
2. देर रात का समय: रात 8 बजे बैठक बुलाने के फैसले पर भी सवाल उठाया गया है। यह वह समय होता है जब महिलाएं अपने घर के कामों और बच्चों की पढ़ाई में व्यस्त होती हैं। नागरिकों ने पूछा है कि आखिर इतनी देर रात बैठक बुलाने की क्या वजह थी।
3. राजनीतिक गतिविधियां: स्थानीय निवासियों में यह चर्चा आम है कि यह महिला गट एक मुखौटा मात्र है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। लोगों का मानना है कि इस गट के माध्यम से राजनीतिक साख बनाई जा रही है। यदि इस गट को भंग किया जाए तो इसके पीछे छिपे कई राज उजागर हो सकते हैं।
4. सुरक्षा में भारी चूक: 200 महिलाओं की भीड़ के बावजूद बैठक का आयोजन एक सुरक्षित और पर्याप्त जगह पर क्यों नहीं किया गया, यह एक बड़ा सवाल है। एक असुरक्षित छत पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बुलाना आयोजकों की घोर लापरवाही को दर्शाता है।
चंदा वैरागडे का जवाब और पत्रकारों को रोका जाना
जब पत्रकारों ने इस मामले पर चंदा वैरागडे से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, तो उन्होंने इसे विरोधियों की साजिश बताया। उनका कहना था, “हादसा हुआ है, लेकिन सभी महिलाओं का इलाज कर सुरक्षित घर भेज दिया गया है।” हालांकि, पत्रकारों का आरोप है कि हादसे के तुरंत बाद उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश करते हुए कहा था, “दादा इश्यू नको बनवा।”
हादसे के बाद जब पत्रकार अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें घायलों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे पत्रकारों का संदेह और गहरा हो गया। इस घटना ने आयोजकों की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों ने पुलिस से मामले की गहन जांच करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। हालांकि घायल महिलाओं को घर भेज दिया गया है, लेकिन यह घटना बाबुपेठ इलाके में कई गहरे राज उजागर करती है।



