WCL मेडिकल बिल घोटाला : सीबीआई ने डब्ल्यूसीएल के चिकित्सा अधीक्षक और निजी केमिस्ट पर दर्ज की FIR

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WCL मेडिकल बिल घोटाला : सीबीआई ने डब्ल्यूसीएल के चिकित्सा अधीक्षक और निजी केमिस्ट पर दर्ज की FIR

नागपुर | ब्यूरो रिपोर्ट — ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज़ 

पुरी खबर:– वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL) की चिकित्सा शाखा में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने WCL डिस्पेंसरी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पृथ्वी कृष्ण पट्टा और नागपुर के एक निजी मेडिकल स्टोर “सद्गुरु मेडिकल स्टोअर्स” के मालिक कमलेश लालवानी के खिलाफ फर्जी मेडिकल बिल तैयार कर सरकारी धन की हेराफेरी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है।

 

क्या है पूरा मामला

CBI की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि WCL के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पट्टा ने कई कर्मचारियों के नाम पर झूठे मेडिकल पर्चे (prescriptions) तैयार किए।
इन पर्चों का इस्तेमाल निजी केमिस्ट कमलेश लालवानी ने महंगी दवाइयाँ दिखाकर फर्जी बिल तैयार करने और WCL से भुगतान प्राप्त करने के लिए किया।

CBI की रिपोर्ट के अनुसार, यह साजिश 2023 से 2025 के बीच चली, जिसमें कई बार फर्जी बिल नागपुर स्थित WCL मुख्यालय को भेजे गए।
कुछ मामलों में मरीजों को इलाज की जानकारी तक नहीं थी, लेकिन उनके नाम पर ₹1,55,443 और ₹51,435 जैसे बढ़े-चढ़े बिल दाखिल किए गए।

 

कैसे रचा गया बिल घोटाला

CBI को मिली शिकायत में कहा गया है कि आरोपी डॉक्टर ने:

  • मरीजों की जानकारी के बिना पर्चे जारी किए,
  • पर्चों में महंगी दवाइयां बाद में जोड़ दीं,
  • और इन जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी बिल तैयार किए।

इसके बाद, नागपुर के सद्गुरु मेडिकल स्टोर के मालिक ने इन्हीं जाली पर्चों के आधार पर WCL से भुगतान प्राप्त किया।
जांच में यह भी सामने आया कि कुछ मामलों में डॉक्टर और मेडिकल स्टोर मालिक के बीच कमीशन और रकम के लेन-देन के सबूत मिले हैं।

 

CBI की कार्रवाई और तलाशी

CBI की विशेष टीम ने बुधवार को नागपुर सहित कई स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया।
इस दौरान —

  • कंप्यूटर डेटा,
  • बैंक स्टेटमेंट्स,
  • मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन की कॉपियां
    और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं।

CBI ने कहा है कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जांच एजेंसी अब फर्जी बिलों के वित्तीय ट्रेल (Money Trail) और अन्य शामिल अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है।

 

सीबीआई का आधिकारिक बयान

CBI के प्रेस नोट के अनुसार —

“यह पाया गया कि WCL के चिकित्सा अधीक्षक ने निजी केमिस्ट के साथ मिलीभगत कर फर्जी मेडिकल बिल तैयार कर सरकारी कंपनी को आर्थिक नुकसान पहुँचाया। मामले की विस्तृत जांच जारी है।”

CBI ने यह भी संकेत दिया कि यदि जांच में उच्च अधिकारियों की भूमिका पाई जाती है, तो आगे और गिरफ्तारियाँ संभव हैं।

 

WCL का क्या कहना है

WCL मुख्यालय, नागपुर ने एक बयान में कहा है कि —

“हम CBI की जांच में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएं हमारी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

 

आगे की कार्रवाई

CBI ने आरोपी डॉक्टर और केमिस्ट से प्रारंभिक पूछताछ की है।
दोनों के बैंक खातों और संपत्तियों की जांच चल रही है।
मामले में यदि धनशोधन (money laundering) के सबूत मिले, तो ED (प्रवर्तन निदेशालय) की भी एंट्री हो सकती है।

 

निष्कर्ष

सरकारी क्षेत्र की कंपनी WCL (Western Coalfields Limited) में मेडिकल बिल घोटाले का यह मामला सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की जमीनी सच्चाई को उजागर करता है।
CBI की इस कार्रवाई से यह संकेत स्पष्ट है कि सरकारी धन की लूट में लिप्त अधिकारी अब बच नहीं पाएंगे।