
वडेट्टीवार–मुनगंटीवार एक सुर में, निलंबन की मांग से सरकार कटघरे में.!
मुंबई | ग्लोबल महाराष्ट्र न्यूज़ | अनूप यादव
दि. 15 डिसेंबर 2025
पुरी खबर :– आखिरकार SDPO जाधव प्रकरण का असर महाराष्ट्र विधानसभा में साफ दिखाई दिया। ब्रह्मपुरी SDPO राकेश जाधव पर लगे भ्रष्टाचार और अवैध रेत तस्करी से जुड़े आरोपों को लेकर सदन में तीखी बहस देखने को मिली। कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार और भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने अलग-अलग तेवर में, लेकिन एक ही सुर में, इस अधिकारी को तत्काल निलंबित करने की मांग करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
सदन में उठा यह मुद्दा केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार और सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सीधा प्रहार बन गया। दोनों वरिष्ठ विधायकों ने स्पष्ट किया कि जब जांच रिपोर्ट मौजूद है, तब कार्रवाई में देरी गंभीर सवाल खड़े करती है।
🔥 वडेट्टीवार का सरकार पर सीधा हमला
विजय वडेट्टीवार ने लक्षवेधी सूचना के तहत विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष आक्रामक रुख अपनाते हुए गृह राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर को घेरा। उन्होंने कहा कि मंत्री स्वयं सदन में यह स्वीकार कर चुके हैं कि SDPO जाधव ने अवैध रेत वाहन जब्ती के मामलों में न तो कानूनी प्रक्रिया का पालन किया और न ही नियमानुसार कार्रवाई की। यह आचरण स्पष्ट रूप से गैरजिम्मेदाराना और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।
वडेट्टीवार ने बताया कि विभागीय जांच का प्रस्ताव सरकार के पास मौजूद है और जांच में निष्कर्ष भी सामने आ चुका है। इसके बावजूद अब तक केवल दो मामलों को उजागर बताया जा रहा है, जबकि लगभग नौ गंभीर शिकायतें लंबित हैं। उन्होंने साफ कहा कि सरकार किसी भी कीमत पर इस भ्रष्ट अधिकारी को बचाने का प्रयास न करे और आज ही निलंबन की कार्रवाई करे।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जिला पुलिस अधीक्षक की गोपनीय रिपोर्ट सरकार के पास लंबित है और अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। उनके अनुसार, यह देरी अपने-आप में संदेह को जन्म देती है।
⚠️ मुनगंटीवार का विस्फोटक आरोप
भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने इस मामले को और गंभीर बनाते हुए सरकार की मंशा पर सीधा सवाल दागा। उन्होंने कहा कि रेत तस्करी जैसे गंभीर अपराध में SP की जांच रिपोर्ट 32 दिनों तक DG कार्यालय में पड़ी रहना अनुशासन नहीं, बल्कि संरक्षण का संकेत है।
मुनगंटीवार ने सदन को बताया कि SDPO जाधव खुलेआम यह दावा करता फिरता है कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। चिमूर क्षेत्र में अवैध रेत तस्करी से जुड़े वाहनों को छोड़ा जा रहा है और रेत की काली कमाई से नोटों के बंडल निकल रहे हैं। इसके बावजूद सरकार केवल अनुशासनभंग की कार्रवाई दिखाकर इस अधिकारी को बचाने में लगी हुई है।
उन्होंने तीखे शब्दों में कहा—“क्या सरकार अब पत्थर की हो चुकी है?” और मांग की कि गृह राज्य मंत्री को इसी वक्त SDPO जाधव को निलंबित करना चाहिए।
🟥 DG कार्यालय पर भी सवाल
मुनगंटीवार ने आरोप लगाया कि DG कार्यालय में एक पूरी यंत्रणा इस अधिकारी को बचाने के लिए सक्रिय है। उन्होंने बताया कि उन्होंने स्वयं DG से मुलाकात की, चार बार कॉल किया, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी। यहाँ तक कि “मैं क्या कर सकती हूँ” जैसा जवाब पूरे सिस्टम की लाचारी और मिलीभगत को उजागर करता है।
⭐ केवल निलंबन नहीं, ACB जांच की मांग
मुनगंटीवार ने स्पष्ट किया कि केवल निलंबन से काम नहीं चलेगा। इस पूरे मामले की जांच नागपुर ACB को सौंपी जानी चाहिए, ताकि रेत तस्करी और रिश्वतखोरी के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके। यह मामला किसी एक अधिकारी तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की साख से जुड़ा है।
🧭 मंत्री का आश्वासन, लेकिन सवाल बरकरार
गृह राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि वे तत्काल विभागीय जांच रिपोर्ट मंगवाकर निलंबन की कार्रवाई करेंगे। हालांकि विधायकों ने उन्हें टोकते हुए कहा कि जांच रिपोर्ट पहले ही पहुँच चुकी है। इसी दौरान विजय वडेट्टीवार ने वाहन मालिक दोनाडकर के बयान का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इस प्रकरण में SDPO जाधव ने 50 हजार रुपये की रिश्वत ली है।
🔴 सिस्टम पर बड़ा सवाल
यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि सवाल किसी एक SDPO का नहीं, बल्कि उस प्रशासनिक व्यवस्था का है, जो भ्रष्टाचार के स्पष्ट आरोपों के बावजूद कार्रवाई करने से बचती नजर आ रही है। जब जांच रिपोर्ट मौजूद है, जब रिश्वत के आरोप सदन में गूंज रहे हैं और जब सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों के विधायक निलंबन की मांग कर रहे हैं—तो देरी किस बात की?
यह बहस सरकार के लिए स्पष्ट चेतावनी है कि यदि भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने की छवि बनी रही, तो सदन ही नहीं, जनता का विश्वास भी सरकार के हाथ से निकल जाएगा।



